Hindi Poetry

  • कविता – मुझे दो आज़ादी !

    कविता – मुझे दो आज़ादी !

    तुम्हारे गढ़े समाज कीनज़रों में नज़रबंदसवालो की सलाखों मेंकैद मेरी रूह कोदे दो आज़ादी मौत तो मेरे बस में नहींमुझे दे दो जीने की आज़ादी चाहे मुंडन करवा लूंया हो जाउूं जटाधारीदे दो आज़ादीअपना सर बचाने की घुमूं नंग-धड़ंगदिखावे के सजावटी कपड़ों सेकर दो आज़ाद मुझे मर्दऔरत याकुछ और हो जाउूंदे दो आज़ादीलिंग-मुक्त हो जाने…

  • अम्मू के नाम ख़त

    अम्मू!कभी लगता तुम बहुत बड़ी होमेरी अम्मी होकभी लगताकि तुम नन्हीं सी अम्मू होतुम संग मैं भी हो जाता हूंनन्हा सा बालतुम्हारे मुस्कुराते होठों में से ढूंढता हूंअपनी आंखों की चमकतुम्हें सोच में डूबे देखमेरा दिल भी खाने लगता है गोते चलो अम्मूसोच के सागर से बाहर निकलेंनीले आकाश पर उड़ान भरेंसपनों के बादलों का…

  • अम्मू के नाम ख़त

    अम्मू!कभी लगता तुम बहुत बड़ी होमेरी अम्मी होकभी लगताकि तुम नन्हीं सी अम्मू होतुम संग मैं भी हो जाता हूंनन्हा सा बालतुम्हारे मुस्कुराते होठों में से ढूंढता हूंअपनी आंखों की चमकतुम्हें सोच में डूबे देखमेरा दिल भी खाने लगता है गोते चलो अम्मूसोच के सागर से बाहर निकलेंनीले आकाश पर उड़ान भरेंसपनों के बादलों का…

  • सफर…

    सफर…

    मैं सुलझी हुईअनसुलझीपहेली हूंना सोना, ना जगनाना रोना, ना हसनाना दर्द है, ना ठीक हूंना जख़्म है, ना मरहम हैनज़र, ज़ुबान, सुनने की ताकतजिस्म मे से घटा दी हैमैं उसमें हूंलेकिन उसका हिस्सा नहींमैं बुरा नहींपर नापसंद हूंरुका हूं, पर सफर में हूं तलाश हैपर खोया कुछ भी नहींमंजिल रस्ते में बदल गईऔर नदी का…

  • वही दीप (मेरी पहली कविता)

    क्या है दीप?पानी से गुंथी मिट्टीआग में तपायाधूप में सुखायासृजनकर्ता के कलात्तमक हाथों सेसृजन किया गयाएक मिट्टी का घेरातेल रूपी सांसऔर जलने के लिएथोङी सी हवाबस थोङी सीआंधी या ख़लाअ नहींरात भर जिस के घर को रोशन कियाउसी की ठोकर से टुकङे टुकङे हो गयाकूङे की तरह घर से बाहर फेंका गयाजब तक जलता हूं…