लालू जी ने रेल बजट में ग्रेजुएशन तक की छात्राओं को मुफ्त रेल सुविधा देने की घोषणा कर दी। अच्छी बात है। दूर दराज के इलाकें से शहर पढ़ने आने वाली छात्राओं से इसे जरूर फायदा होगा। लेकिन लालू जी जितनी लड़कियां पड़ने जाती हैं, उतने ही लड़के भी कॉलेज जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से हर रोज हजारों स्टुडेंट्स पढ़ने के लिए आते जाते हैं। अगर लालू जी को फ्री पास देने ही थे, तो अभावग्रस्त सभी छात्रों को बिना लिंग भेद के देने चाहिए थे। जिन छात्राओं की रेल टिकट खरीदने की हैसियत है, वह भी अब बिना टिकट के रेल में घूमेंगी, लेकिन जिन ग्रामीण और शहरी युवकों को दू जून की रोटी के लिए दिहाड़ी करनी पड़ती है उनका ख्याल लालू जी को क्यों नहीं आया। खुशी है कि 25 करोड़ के फायदे का बजट पेश कर चक दे रेलवे का नारा लगाया। गर वह एकआध करोड़ छात्रों के लिए रख देते तो खुशी का रंग कुछ और होता।
लालू जी हम से का भूल हुई
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