कोयल की कू हू कू हू चिङिया की चीं चीं और कोए की कांव कांव का सुखद अहसास कौन नहीं लेना चाहता, लेकिन सोचा आप ने कभी कि आप हकदार हैं इसके। बात शायद आपको आम सी लगे, लेकिन सवाल ये है कि आप ने खुद ऐसा कितनी बार किया है। मैं बात कर रहां हूं, लुधियाना शहर के ऋषि नगर में रहने वाली ऐसी दंपति की, जो सचमुच इसके हकदार हैं। बुधवार की सुबह सैर करते हुए उन्हें सङक पर पडा हुआ एक नन्हा पक्षी मिला। पुनीत और ऐनिका को न तो उनका नाम मालूम था और न उसके जख्मी होने का कारण, लेकिन ये उनके दिल में बसी कुहू कुहू थी, जिसने उन्हें उस नन्ही जान को गले लगाने के लिए मजबूर कर दिया। सुबह वह उसे घर ले गए, दूध पिलाया, फल खिलाए और मरहम पट्टी की, लेकिन उसे कदमों पर खङे न होता देख उन का दिल बैठ गया। सुबह से ही दोनों का किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था। दोपहर बाद एक साफ सुथरे डिब्बे में उसे डाला और अस्पताल की ओर चल पङे, जिसे ढूंढते हुए रास्ते में उनकी मेरे से मुलाकात हुई। उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें देख न जाने क्या हुआ कि पता बताने की बजाए मैं उनके साथ हो लिया। अगले आधे घंटे तक पूरी दुनिया भूल कर वह दोनों बस उस नन्हें पंछी की जिंदगी के बारे में सोच रहे थे। तभी मेरे दिल में ख्याल आया कि आज तक हमने ऐसा कितनी बार किया। क्या हमें सचमुच हक है, हर सुबह उन खूबसूरत आवाज़ों को सुनने का जो किसी आयत, श्लोक या गुरबाणी के शबद से कहीं बढ़कर होतीं हैं। लेकिन सङक पर जख्मी हालत में पङे हम उन पर एक नजर तक डालना मुनासिब नहीं समझते। अब आप कहोगे कि वक्त किसके पास है, तो जिंदगी खत्म हो जाएगी लेकिन कभी वक्त नहीं मिलेगा। अगर अपने कानों में कुदरत की मिठास घोलना चाहते हैं, तो सिर्फ कू हू कू हू नहीं वक्त आने पर पंछियों की कराहटों को भी सुनीए
ये हैं कू हू कू हू के सच्चे हकदार
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